हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में बनी उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने सोमवार को राजधानी की जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए संबंधित को निर्देश दिए। समिति ने निर्देश दिए कि इस संबंध में जल्द कदम उठाया जाए ताकि कैदियों में कोरोना महामारी ना फैल सके। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस समिति का गठन किया गया है।
न्यायमूर्ति हीमा कोहली की अध्यक्षता में बनी इस समिति ने उन कैदियों को विशेष छूट देकर रिहा करने पर विचार किया, जिनकी सजा पूरी होने में छह महीने या इससे कम समय बचा है। समिति ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेल महानिदेशालय, दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और दिल्ली सरकार के गृह विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की।
सुप्रीम कोर्ट के 23 मार्च के आदेश पर हुई समिति की बैठक में तय किया गया कि कारागार नियमों में जोड़े गए नए प्रावधान के तहत करीब 1,500 कैदियों को आठ सप्ताह की पैरोल देने की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाए। यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि जेल में कैदियों की संख्या कम करने के लिए ऐसे विचाराधीन कैदियों की जानकारी दी जाए, जिन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
वहीं, समिति ने कहा कि मादक पदार्थ तस्करी, बच्चों के यौन शोषण, दुष्कर्म और तेजाब हमले, विदेशी नागरिकों, भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों, आतंकवादी तथा राष्ट्र विरोधी गतिविधियां या गैरकानूनी गतिविधियां कानून के तहत बंद विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत देने पर विचार नहीं किया जाएगा। समिति ने यह भी तय किया कि जेलों में व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की व्यवस्था फिलहाल नहीं होगी और कैदियों को अपने परिजनों से टेलीफोन पर बात करनी होगी।
जेल महानिदेशक की ओर से समिति को बताया गया कि दिल्ली की जेलों की क्षमता 10,026 कैदियों की है, लेकिन इनमें इस समय 17,440 कैदी हैं। इनमें 14,355 विचाराधीन कैदी भी शामिल हैं। इसके साथ ही 28 मार्च को हुई समिति की बैठक में जेल अधिकारियों ने बताया कि अभी तक कैदियों में कोरोना वायरस संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है और जेल में हर जगह सैनिटाइजर का नियमित रूप से छिड़काव किया जा रहा है। इसके अलावा जेल स्टाफ को मास्क और दस्ताने दिए गए हैं। जेलों में कैदियों और सांस्कृतिक समूहों की गतिविधियां रद्द कर दी गई हैं ताकि बड़ी संख्या में लोग एक जगह एकत्र न हो सकें।