निर्भयाः कोर्ट ने कहा- अगर कानून जिंदा रहने की इजाजत देता है तो फांसी देना पाप

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार(7 फरवरी) को केंद्र सरकार की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें  निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। अदालत ने सुनवाई करते दोषियों को नोटिस जारी करने के आग्रह को ठुकराते हुए मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
आज कोर्ट में क्या-क्या हुआ...
मामले की सुनवाई शुरू हुई तो सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि राष्ट्र का धैर्य जांचा जा रहा है। उन्होंने आगे पूछा कि क्या उस वक्त प्रशासन को सभी दोषियों के विकल्प खत्म होने के लिए कहा जा सकता है जब दोषी पवन ने 2018 में पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद कोई याचिका ही दाखिल नहीं की है।
इस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि एक व्यक्ति को बचाव करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। इस पर एसजी ने कहा कि बिल्कुल ठीक कह रहे हैं आप। इसलिए ट्रायल कोर्ट इंतजार करने को कहा है। फिर दोषी तो बैठा रहेगा। फिर पांच लोग और आएंगे और शत्रुघ्न चौहान मामले का हवाला देकर फांसी देने को कहेंगे। इस तर्क के लिए हाईकोर्ट का इस फैसले तक पहुंचना गलत है।
इसके बाद एसजी ने दूसरे पक्ष को अपनी दलील रखने के लिए सोमवार का समय देने को कहा। एसजी ने अदालत से कहा कि आप उन्हें आने दीजिए और वो जो चाहते हैं वो कहें।
जस्टिस भानुमति ने कहा लेकिन एक हफ्ते का समय मंगलवार को खत्म हो रहा है जो हाईकोर्ट ने दिया है। इस पर एसजी ने कहा कि कोई बात नहीं आप उन्हें जो कहना है कहने दें।
इस पर जस्टिस भानुमति ने कहा कि हम 11 फरवरी को अगली सुनवाई करेंगे, तब एक हफ्ते का समय खत्म हो जाएगा।
इस पर एसजी ने कहा कि उन्हें बताया जाना चाहिए समय खत्म हो रहा है। उन्हें बताया जाना चाहिए कि यहां समय किसी लंबित याचिका की वजह से नहीं खिंच रहा है। कृपया आप उन्हें नोटिस भेजिए ताकि मैं उन्हें वो दे सकूं। आप को आश्वस्त करता हूं कि यह बात सुनी जाएगी।
तब खंडपीठ ने कहा कि यह मंगलवार को देखा जाएगा। इस पर एसजी ने एक बार फिर आग्रह किया कि दोषियों को नोटिस भेजा जाए। हम समाज पर के प्रति इतना काम कर सकते हैं।
तब जस्टिस भूषण ने कहा कि एक हफ्ते का समय खत्म होने दीजिए। क्या पता तब तक सभी विकल्प खत्म हो जाएं। तब हम इस मामले का संज्ञान लेंगे।
फिर अदालत ने कहा कि हम दोषियों को अलग-अलग फांसी की सजा वाली केंद्र की याचिका पर मंगलवार दोपहर दो बजे सुनवाई करेंगे।
इसके साथ ही अदालत ने एसजी के उस आग्रह को ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने दोषियों को नोटिस देने की बात कही थी। गुरुवार को कोर्ट में क्या-क्या हुआ
केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने गुरुवार को जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष इस याचिका का उल्लेख करते हुए जल्द सुनवाई की गुहार लगाई।


नटराज ने कहा कि चारों दोषियों की पुनर्विचार व सुधारात्मक याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं और तीन की दया याचिकाएं भी खारिज हो चुकी है, बावजूद इसके जेल अथॉरिटी चारों दोषियों की फांसी नहीं दे पा रही है। 


मालूम हो कि बुधवार को हाईकोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी की सजा को टालने के ट्रायल करने के आदेश को दरकिनार करने से इनकार करते हुए सभी दोषियों को सात दिनों के भीतर तमाम कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया था।


हाईकोर्ट के फैसले के बाद थोड़ी ही देर बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका(एसएलपी) दायर कर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे दी।


केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सवाल किया है कि मृत्युदंड वाले मामलों में एक दोषी द्वारा तमाम कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने के बावजूद क्या वह कानून के साथ खिलवाड़ कर सकता है क्योंकि सह दोषियों ने अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं किया है।